कोरोना और टूट कर घर लौटी जिंदगी।

वह हजारों किलोमीटर पैदल चलकर घर जाने की कोशिश कौन भूल सकता है। कौन भूल सकता है उस मार्मिक दृश्य को, वह बेबसी वह हताशा वह सब खो जाने का डर चेहरे से साफ नजर आते थे। दूसरे कोरोना के लहर ने इस बेबसी की तस्वीर में और अधिक स्याह रंग भर दिया।

राजद्रोह कानून और अभिव्यक्ति की आजादी

सरकार की आलोचना और राज्यद्रोह
सबसे पहले यह समझने की दरकार है कि सरकार की आलोचना राजद्रोह नहीं है। मजबूत लोकतंत्र के लिए आलोचना अति आवश्यक है। सरकारी आती है जाती हैं जो कि राज्य बना रहता है। राज्य संविधान से चलता है परंतु देश एक भावना है। आता कई बार सरकार अगर गलत करें तो उसकी आलोचना करना उसका विरोध करना सच्चा राष्ट्रवाद है। साथ ही ये आलोचना हिंसक नहीं होनी चाहिए। लोकतंत्र में हिंसक और हिंसा भड़काने वाली व्यक्ति की कोई जगह नहीं है। स्वस्थ आलोचना की हमेशा तारीफ होनी चाहिए। भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने में श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जॉर्ज फर्नांडिस, अटल बिहारी वाजपेई चौधरी चरण सिंह जैसे नेताओं का अहम योगदान है जो सरकार की गलत नीतियों के कट्टर आलोचक थे।